ख्यालों की दुनियां

तेरे हुस्न का दीदार इन आंखों से कैसे कर लूं
इस रूह की प्यास बरसात से कैसे बुझा लूं
तुझे देखने के सबब बहुत आये इस जिंदगी में
दिल में बसाकर तेरा नाम इन ओठों पर कैसे ले लूं.....

सोचता हूं कभी अगर मुलाकात न होती तो क्या होता
मिलती हजारों खुशियां पर शायद इनका अहशास न होता
चलते थे मंज़िल पाने के लिए पर पाने का अहशास न होता
तुम्हारा ही करम है जो  अब सतरंगी अहशास बहुत देता है..

वक्त किसी के लिए न रुकता ये मैं भी जनता हूं
हार के कैसे बैठ जाऊं कर्म करना मैं भी जनता हूं
सब समय समय की बात है साहब ये मैं भी जनता हूं
मन में बसाकर अपना बनाना मैं अब भी जनता हूं..

हसरतें बहुत है पर किसी से सिकायत किसी से नहीं
सोचता बहुत हूं पर बताता अब भी किसी से नहीं
ये रास्ते के कांटे है काटों का रास्ता तो नहीं
चलकर इस रास्ते पर पीड़ा बहुत हुई  दिखता तो नहीं...







1 Comments

  1. Sir aapne bola tha jo bhi bhav aaye usse sabdo ka rup do sayad aaj lag rha hai likhna sirf likhna nhi hota vah jeena hota hai.....

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