दिलों को मिला कर आंखें चार कर लो तुम

दिलों को मिला कर आंखें चार कर लो तुम 
बड़ी गैरत से गुजरी है आकर प्यार कर लो तुम...

बहुत देखे हैं सपने तेरा दीदार करने को 
कभी तो आ जाओ आंखें चार करने को तुम ....

भुला देता हूं खुद को तेरे अल्फाज गाने में 
चुरा लेता हूं तुझको मेरे पास आने पर....
महक जाता है मेरा तन मन तेरे पास जाने से 
संवर जाती है मेरी ख्वाहिश ख्वाबों की दुनिया तेरे पास आने से.....

पास तुझे पाकर विश्वास बहुत बढ़ जाता है 
साथ तेरा पाकर है जीने का एहसास अलग हो जाता है....

खिले जो फूल गुलशन में मिलन की चाहत से 
महक जाए उसकी खिलखिला हट से....

नदिया की धारा बहती है सागर की हो जाने को 
जीवन भी कहता है उसका ही हो जाने को....

चांद सितारे भी मिलकर तुझसे शर्माते होंगे 
बैठक अकेले सब तेरी यादों में खो जाते होंगे....
ये सोचकर सब आज भी गदगद हो जाता हूं 
ऊपर चाहे जैसा दिखता अंदर से तेरा हो जाता हूं....

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