रुला कर उसको आज फिर मैं गुनाहगार हो गया

रुला कर उसको आज फिर मैं गुनाहगार हो गया
भरोसा मुझ पर बहुत था उसे फिर से हैवान हो गया
फिर भी वो है कि मेरा साथ छोड़ते ही नहीं 
ये सब देखकर मैं आज कितना शर्मसार हो गया...

पास होकर उससे कितनी दूर थे हम
आज यह समझ आया
उनकी मोहब्बत का रहमों करम ही तो था हम पर
जो इंसान बनकर वापस लौट आया.....

सितमगर थे हम फिर भी वो साथ चलना चाहते थे
शिकायत बहुत थी फिर भी कदम से कदम मिलाते रहे
शायद इंतिहा हो गई थी जुल्मों सितम की अब 
वह चुपचाप आंसुओं को दबाकर मुस्कुराते रहे.....

जब जागा गहरी नींद से तब ख्याल आया 
हम कितने गुनाहगार हैं उसकी चाहत के 
सर झुका था नैनों में आंसुओं की धार थी 
पोछकर मेरे आंसुओं को फिर से आगे बढ़ने को तैयार थे..

अब वादा नहीं कोशिश करूंगा हमदम इस सफर में 
अब उसका कभी ना दिल दुखआऊंगा 
साथ मिलकर चलूंगा मेरे हमसफ़र 
जो किए थे वादे उनको साथ मिलकर निभाऊंगा...

अधूरी जिंदगी को तेरे साथ मिलकर कुछ मायने दे दूं
ये सोचकर आगे बढूंगा
इन प्रेम भरी आंखों में खुद को डूबा दूं हमसफ़र
इस भरोसे से तेरा बनूंगा इस भरोसे से तेरा बनूंगा......

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