चाहत को प्यार में बदलने के लिए कुछ तो समय चाहिए

चाहत को प्यार में बदलने के लिए कुछ तो समय चाहिए 
ठहरे हुए पानी को चलने के लिए कुछ तो ढालाव चाहिए
मोहब्बत की बातें अब तन्हाईओं में तो नहीं हो सकती
प्यार को परवान चढ़ने के लिए कुछ तो लगाव चाहिए....

बंदीसे लगाकर कब तक आजमाओगे मेरे प्यार को
कभी तो इनकी बंदिशें ढीली तो होगी
उस रोज बड़ा पछताओगे बड़ा पछताओगे....

प्यार है तो जीने का एहसास दिला दो
गम है उससे मिलकर बता दो
अब इतनी गफलत में क्यों रहते हो
अगर दूर जाने का इरादा है तो आकर बता दो.....

बड़ा बेदर्द है मेरा महबूब सितम करके वफा का नाम देता है
दूर जाने से मैं डरता हूं पास आने से इनकार करते हैं
सोचता हूं फुर्सत में कब तक सहूंगा उनके जुल्मों सितम
किसी रोज चला जाऊंगा दूर तब हमें वो याद करेंगे...

सांसों को चलने का अधिकार दे दो
खाली है रास्ते उन पर चलने का पैगाम दे दो
कब तक बैठे रहेंगे इस मोड़ पर
किसी रोज आकर इजहार कर दो....
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तेरे चेहरे की मासूमियत हमें कुछ कहने नहीं देती
दर्द तो मेरे दिल में भी है मगर हालात अब सहने नहीं देते
कब तक फंसे रहेंगे चाहत के इस समंदर में
निकलने की कोशिश बहुत है मगर वो है कि चलने नहीं देती.
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