नजर से नजर है कि हटती ही नहीं

नजर से नजर है कि हटती ही नहीं 
सोचता हूं कि दुनिया वाले क्या कहेंगे
 मगर वो है कि मानती नहीं
 दुनिया वाले क्या कहेंगे कुछ सोचती ही नहीं....

नजर से नजर को मिलाकर तो देखो
मोहब्बत है जो उनसे दिल लगा कर तो देखो
भटकी हुई जिंदगी को मिल जाएंगे नए मायने
उससे दिल मिलाकर तो देखो......

उठी थी जो नजर उम्मीद से 
उस उम्मीद को साकार करते है
धड़का था जो दिल मेरे लिए 
उसका होने का इंतजार करते है....

डूबने से नहीं डरता तैरना जानता हूं
उससे दूर जाने की बात नहीं है अपना बनाना चाहता हूं
कौन बताएं इन झील सी आंखों को 
डूबना चाहता हूं मगर डूबकर निकलने से डर लगता है..... 

मेले थे जब हम तुमसे बड़े दिन खास होते थे
लफ्जों से ज्यादा आंखों से बात करते थे
रातों में भी दिन होने का इंतजार होता था
शायद ये प्यार की परिभाषा थी 
इसे साकार होने का इंतजार करता हूं....

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